अष्टमेश का फल
जिस व्यक्ति का अष्टमेश अष्टम स्थान में हो, उसकी स्त्री पतिव्रता नहीं होती। वह व्यक्ति जुआरी, चोर, झूठा और गुरुनिंदक होता है।
यदि अष्टमेश धर्म-स्थान में हो तो व्यक्ति बड़ा पापी और नास्तिक होता है। उसके पुत्र जीते नहीं हैं। उसकी स्त्री बांझ होती है, परस्त्री और परधन में उसकी रुचि होती है।
जिसका अष्टमेश कर्म अथवा सुख-स्थान में हो तो वह व्यक्ति चुगलखोर और बंधुरहित होता है। बाल्यावस्था में उसके माता-पिता की मृत्यु हो जाती है। उसे सदा एक प्रकार का भय-सा सताता रहता है।
जब अष्टमेश छठे अथवा बारहवें स्थान में हो तो व्यक्ति नित्य रोगी होता है। बाल्यावस्था में उसको जल तथा सर्प से भय होता है।
यदि अष्टमेश लग्न अथवा सप्तम स्थान में हो तो व्यक्ति के दो विवाह होते हैं और वो व्यक्ति विष्णुद्रोही तथा व्रणरोगी होता है।
जब अष्टमेश धन-स्थान में हो तो व्यक्ति बाहुबलहीन और धनहीनं होता है, खोया हुआ धन उसको नहीं मिलता।