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Mantra Jaap | मंत्र जाप विधि क्रम

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वशीकरण कर्म को उत्तराभिमुख होकर, आकर्षण कर्म को दक्षिणाभिमुख होकर, स्तंभन कर्म को पूर्वाभिमुख होकर, शान्तिकर्म को पश्चिम की ओर मुख कर, पौष्टिक कर्म को नैऋत्य की ओर मुखकर, मारण कर्म को ईशानाभिमुख होकर, विद्वेषण कर्म को आग्नेय की ओर व उच्चाटन कर्म को वायव्य की ओर मुंह कर साधना करना चाहिए।

Mantra Vidya | मंत्र विद्या क्या है?

Mantra Vidya

‘मं’ का अर्थ निज से संबंध रखने वाली मनोकामना, ‘त्र’ का अर्थ है रक्षा करना, इस प्रकार जो मनोकामना की रक्षा करे वह मंत्र (Mantra) कहलाता है।

मन्त्रों के भेद

मन्त्रों के भेद

मन्त्र शास्त्र में हमारे पूर्वाचार्यों ने मन्त्रों के अनेक भेद बताये हैं, जेसे शान्ति मंत्र , पौष्टिक मंत्र , स्तंभन मंत्र, मोहन मंत्र, उच्चाटन मंत्र, वशीकरण मंत्र, आकर्षण मंत्र, जृंभण मंत्र, विद्वेषण मंत्र, मारण मंत्र

मंत्र जाप के लिए माला

जप के लिए माला

मंत्र जाप के लिए माला का होना आवश्यक है। संख्या के बिना जप करने का कोई अर्थ नहीं निकलता, इसलिए एक सौ आठ चौवन अथवा सत्ताईस मनकों की मात्रा होनी चाहिए।

मंत्र ग्रहण कब करे

मंत्र ग्रहण कब करे

रविवार को मंत्र लेने से धन लाभ, सोमवार को शान्ति, मंगलवार को आयुक्षय, बुधवार को श्री वृद्धि, गुरुवार को ज्ञान लाभ, शुक्रवार को सौभाग्य हानि और शनिवार को अपकीर्ति होती है।

सर्व ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त मंत्र

सर्व ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त मंत्र

सर्व सिद्धियां प्राप्त मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार जाप करने से स्त्री संबन्धी समस्त कठिन रोगों का नाश होता है और सर्व सिद्धियां प्राप्त होती हैं।