राहु बारहवें भाव में नीच होता है और उसका कारक भाव भी है तथा केतु छठे भाव में नीच होता है और उसका कारक भाव भी है।
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यदि किसी व्यक्ति के जीवन में अशुभ घटना उपस्थित होने लगे तनाव बढ़ने लगे , नींद ना आने की समस्या हो शरीर में कमजोरी महसूस होने लगे, वाद-विवाद होवे, खर्च बढने लगे, कमाई कम होने लगे, संतान संबंधी कष्ट, चर्म रोग, जोड़ों, घुटनों व रीढ़ की हड्डी में दर्द और रिश्तों में तनाव तो ये सब राहु केतु के कमजोर होने के संकेत है।
केतु की महादशा में केतु की अन्तर्दशा में शत्रुओं से कलह हो, मित्रों से विरोध हो. अशुभ वचन सुनने पड़ें, शरीर में बुखार तथा तपिश की बीमारी हो। दूसरे के घर जाना पड़े और धन का नाश हो