दशमेश का फल
जब कर्मेश सुख अथवा कर्म-स्थान में हो तो व्यक्ति सखी पराक्रमी, गुरु तथा देवताओं की पूजा में तत्पर, धर्मात्मा तथा सत्य होता है।
जब कर्मेश पंचम अथवा लाभ-स्थान में हो तो व्यक्ति धनवान, पत्रवान सदा हर्ष से युक्त, सत्यवादी तथा सुखी होता है।
कर्मेश जब छठे अथवा बारहवें स्थान में हो तो व्यक्ति शत्रुओं से पीडित तथा चतुरता के गुणों से युक्त होता है और उसे सुख कभी नहीं मिलता।
यदि कर्मेश लग्न स्थान में हो तो व्यक्ति कविता के गुणों से युक्त और बाल्यावस्था में रोगी रहता है, तदुपरांत दिनोंदिन धन की वृद्धि होती है।
यदि कर्मेश धन, सप्तम अथवा भ्रातृ-स्थान में हो तो व्यक्ति उदारचित्त. गुणवान, वक्ता तथा सत्यधर्म से युक्त होता है।