धनेश का फल

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धनेश का फल

जन्मकण्डली में किसी के फल का विचार करने से पहले इस बात को सरल ध्यान में रखना चाहिए कि यदि ग्रह पूर्ण बल वाला हो तो फल भी है और यदि आधे बल वाला ग्रह हो तो आधा फल ही मिलता है। इसी प्रकार यदि चतुर्थांश कम बल वाला हो तो फल भी चतुर्थांश कम मिलता है और यदि चतुर्थांश बल वाला हो तो फल भी चतुर्थांश मिलता है।

जब धनेश धन-स्थान में हो तो व्यक्ति धनी, अभिमानी, दो या तीन स्त्री वाला और पुत्रहीन होता है। यदि धनेश तीसरे या चौथे स्थान में हो तो व्यक्ति पराक्रमी, बुद्धिमान, गणवान, परस्त्रीभोग करने वाला, लोभी अथवा देवताओं की निंदा करने वाला होता है।

जब धनेश धन-स्थान में हो तो व्यक्ति धनी, अभिमानी, दो या तीन स्त्री वाला और पुत्रहीन होता है।

धनेश तीसरे या चौथे स्थान में हो तो व्यक्ति पराक्रमी, बुद्धिमान, गुणवान, परस्त्रीभोग करने वाला, लोभी अथवा देवताओं की निंदा करने वाला होता है। जब धनेश छठे स्थान में हो तो व्यक्ति को शत्रु से धन की प्राप्ति होती है और शत्रु द्वारा ही धन का नाश भी होता है। उसकी गुदा अथवा जांघों में रोग होता है।

जब धनेश सप्तम स्थान में हो तो व्यक्ति वैद्य होता है और परस्त्रीगमन करने वाला होता है। उसकी स्त्री वेश्या होती है और माता भी व्यभिचारिणी होती है।

धनेश अष्टम स्थान में हो तो भूमि में द्रव्य मिलता है, स्त्री से अल्प सुख मिलता है तथा बड़े भाइयों से कभी सुख नहीं मिलता। धनेश नवम अथवा लाभ-स्थान में हो तो व्यक्ति धनी, उद्यमी, चतुर, बाल्यावस्था में रोगी तदनंतर सुखी होता है और सवारी (वाहन) के द्वारा उसकी आयु समाप्त होती है।

धनेश दशम स्थान में हो तो व्यक्ति कामी, अभिमानी, पंडित, बहुत स्त्री और धन से युक्त और पुत्रहीन होता है।

धनेश व्यय-स्थान में हो तो व्यक्ति अभिमानी, साहसी तथा धनहीन होता है राजा के घर से उसकी आजीविका होती है और ज्येष्ठ पुत्र का सुख उसको नहीं मिलता। धनेश लग्न अथवा पंचम स्थान में अपने कटम्ब में कंट स्वरूप होता है। धनी, निष्ठुर, कामी और दुसरे का काम करने में तत्पर होता है।

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