शनि और गुरु के योग का फल | Shani Guru Yuti Fal
कुंडली के बारह भावो में शनि और गुरु की युति का फल निम्न अनुसार है :-
- कुण्डली के प्रथम भाव (लग्न) में शनि के साथ गुरु का योग हो तो जातक सामान्य धन-सम्पत्ति वाला होगा।
- द्वितीय भाव में शनि+गुरु के प्रभाव का योग हो तो जातक को स्थायी धन लाभ होगा किन्तु ऐसे जातक अधिक व्यय करते हैं। सन्तान से क्लेश रहेगा।
- तृतीय भाव में शनि गुरु के प्रभाव से जातक के जीवनकाल का अधिक समय परिश्रम करते हुए व्यतीत होगा।
- चतुर्थ भाव में शनि के साथ गुरु विराजमान हो तो भौतिक सुख की कमी, पारिवारिक कलह, माता या पिता की मृत्यु जल्दी हो आदि विषयों पर विचार किया जाता है।
- कुण्डली के पंचम भाव में शनि गुरु की युति हो तो जातक का जीवन सामान्य होगा। जातक लेखन, व्यापार आदि से जीवन यापन करेगा।
- षष्ठम भाव में शनि गुरु का योग होने पर भी जातक को सामान्य फल ही प्राप्त होंगे।
- सप्तम भाव में शनि गुरु हो तो जातक को पारिवारिक कलह- क्लेश, धन की अल्पता अथवा दरिद्रता आदि पर विचार करें।
- अष्टम भाव में शनि गुरु ग्रहों का योग जातक को सामान्य सुख देता है। जातक की आयु लम्बी होगी । धनार्जन का सदैव प्रयास करेगा।
- नवम् भाव में यदि शनि गुरु विराजमान हैं तो जातक को सामान्य फल ही प्राप्त होंगे। ग्रहों का जातक पर विशेष प्रभाव नहीं होगा ।
- दशम भाव में शनि गुरु की युति जातक को माता-पिता का सुख प्रदान करता है। जातक सामान्य शिक्षित होगा किन्तु पारिवारिक दायित्व का निर्वाह करेगा।
- एकादश भाव में शनि गुरु की युति का प्रभाव जातक के जीवन का प्रथम सोपान कष्टप्रद किन्तु बाद का समय सुखमय होगा।
- द्वादश भाव में स्थित शनि गुरु का योग जातक को मान-सम्मान तथा धन सम्पत्ति प्रदायक है।