उच्च राशि ग्रहों के फल
कुंडली में १२ भाव होते है और ९ राशि होती है। प्रत्येक ग्रह किसी एक राशी में उच्च स्थिति में होता है और उससे ठीक सातवे स्थान पर नीच स्थिति का होता है।
यहाँ उची स्थिति से आशय ग्रह की सक्षमता प्रसन्नता से है और नीच स्थिति से आशय निर्बलता एवं क्षीणता से है। फल कथन से पूर्व नवमांश कुंडली से भी ग्रहों की स्थिति विचारना चाहिए।
ग्रह उच्च राशि में सबसे बलवान होता है। अपनी राशि में दूसरी श्रेणी का बलवान, मित्र राशि में तीसरी श्रेणी का बलवान, सम राशि में चौथी श्रेणी का, शत्रु राशि में पांचवी श्रेणी और नीच राशि में छठी श्रेणी का यानि सबसे कमजोर होता है।
ग्रह | उच्च राशि | फल |
सूर्य | मेष | भाग्यवान धनी, विद्वान, यशस्वी और सुखी |
चन्द्र | वृषभ | धैर्यवान, शांतिप्रिय, संतुलित |
मंगल | मकर | राजा द्वारा सम्मान प्राप्त, कर्तव्य परायण तथा साहसी |
बुध | कन्या | बुद्धिमान, लेखक, विद्वान, शत्रु नाशक, वंश वृद्धिकर्ता तथा प्रसन्न |
गुरु | कर्क | शासक, विद्वान, मंत्री, चतुर, सुखी और ऐश्वर्य सम्पन्न |
शुक्र | मीन | कामी विलासी, भाग्यवान तथा संगीत प्रिय |
शनि | तुला | अधिपति, कृषक, जमींदार, राजा, यशस्वी तथा शक्तिशाली |
राहु | मिथुन | धनी, साहसी और लम्पट |
केतु | धनु | भ्रमणशील एवम् नीच |